पंचगव्य का बन रहा बड़ा मार्केट, कीट नियंत्रण के लिए हो रही काफी बिक्री

सरस मेले में आए महिला स्वसहायता समूहों ने साझा किए अपने अनुभव, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महिला स्वसहायता समूहों को अवसर देने एवं स्थानीय स्तर के उत्पादों को बढ़ावा देने, गोधन का उचित उपयोग करने की नीति के फलस्वरूप हुआ परिवर्तन
दुर्ग। गोबर से बने पंचगव्य का बड़ा मार्केट छत्तीसगढ़ में बन रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा महिला स्वसहायता समूहों को अवसर देने एवं स्थानीय स्तर के उत्पादों को बढ़ावा देनेए गोधन का उचित उपयोग करने की नीति के फलस्वरूप यह परिवर्तन हुआ है। भिलाई में आयोजित सरस मेले में आई महिला स्वसहायता समूहों ने इस संबंध में अपने अनुभव साझा किए। सरल मेले में गोबर से बने हुए कई उत्पाद अलग.अलग स्वसहायता समूहों द्वारा रखे गए थे। इसमें पंचगव्यए अगरबत्ती आदि शामिल थे। स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने बताया कि देशी गाय का बना पंचगव्य कीट नियंत्रण में विशेष रूप से प्रभावी साबित हुआ है। पंचगव्य को देशी गाय के गोमूत्रए गोबर एवं नीम.करंज आदि की पत्तियों से बनाया जाता है। सरस मेले में मेउभाठा से आई स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि जब हम लोगों ने अपने गांव में पंचगव्य बनाने की विधि सीखी और शुरूआत में टेस्ट के लिए सैंपल किसानों को दिए तो उन्होंने आजमाने इसे ले लिया। हम लोगों को खुशी तब हुई और अपने पर भरोसा तब मुकम्मल हुआ जब वे कुछ दिनों बाद फिर लौटे और बताया कि पंचगव्य तो काफी कारगर है और इसे वे पुन: लेकर जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस प्रयोग की सफलता के पश्चात आसपास के और गांवों में भी अपने उत्पाद लेकर गई। इसका शानदार रिस्पांस मिला। हम लोग अपने पैरों पर खड़ी हो गईं हैं। गांव वाले कहते हैं कि ये महिलाएं गोमाता की सेवा भी कर रही हैं और लाभ भी अर्जित कर रही हैं। सरस मेले में आई श्रीमती शन्नो जाहिरे ने बताया कि जो किसान सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं उन्होंने हमारे कीटनाशक उत्पादों के बारे में बताया कि गोवर्धन ब्रह्मास्त्र से महंगे कीटनाशक का खर्चा तो बच ही रहा है। सब्जी में भी स्वाद आ रहा है इससे शहर में अच्छे दाम मिल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ये महिलाएं गोबर से पूजा सामग्री भी तैयार कर रही हैं। इसमें अग्निहोत्र कंडा भी तैयार किया गया है। इसकी बाजार में अच्छी मांग है। प्रदेश के अन्य इलाकों से आए स्वसहायता समूहों के सदस्यों ने बताया कि वे गोबर से जैविक खाद बना रहे हैं। इसकी अच्छी बिक्री हो रही है।






